nahi pratidan nahi

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नहीं प्रतिदान नहीं हर आदमी के अन्दर एक कामना रह जाती है, वह है अपना सर्वस्व सोंप देने की इच्छा ! कुछ एसी बात है इस कहानी मै जो कुछ सिखा जाती है ! जीवन जीने का शायद नजरिया वदल दे !