कहानी पत्नी धीरेन्द्र अस्थाना नहीं, वह नींद में नहीं था। दरवाजे के बाहर, इक्कीस सीढ़ियां चढ़कर रुका था और घंटी पर उंगली टिका कर दो सैकेंड खड़ा रहा था। फिर सिगरेट जलायी थी कि तभी वह फिर दिखायी दी। वही काली, चिकनी, ठोस बड़ी चट्टान, धीरे—धीरे लुढ़कती, उसकी तरफ एक निश्चित गति से आती हुई। भय से उसकी आंखें फटने को हो आयीं और सिगरेट उंगलियों से फिसल कर जमीन पर गिर पड़ी। तभी दरवाजे की चिटखनी खुलने की आवाज हुई और उसने चाहा कि जिसने भी दरवाजा खोला हो वह उसे अपने आगोश में ले ले और उसे भयावह