कहानी सूखा धीरेन्द्र अस्थाना राजधानी की सबसे महंगी और व्यस्त सड़क पर विश्वविजेता सिकंदर की तरह सिर ताने खड़े विशालकाय, कई मंजिला भवन के चौथे माले पर था, देश के उस सबसे बड़े और प्रतिष्ठित साप्ताहिक का कार्यालय जिसकी सेवा में मुल्क के नामीगिरामी आला दर्जे के दिमाग दिन—रात लगे हुए थे। तीन केंद्रीय मंत्रियों, पांच मुख्यमंत्रियों, दर्जनों अधिकारियों और बीसियों संस्थाओं के निदेशकों को सत्ताच्युत कर देने वाले इस साप्ताहिक का बौद्धिक दबदबा भी उन्नीस नहीं था। जिस व्यक्ति के हाथ में साप्ताहिक दिखायी पड़ जाता था, उसे विशिष्ट होने का गौरव अनायास ही प्राप्त हो जाता था। साप्ताहिक