यहां तो आप अपनें कहनें पर खुद ही पक्के न रहें, आपनें केलीप्स और डिओन का दृष्टांत देकर यह बात साबित की थी कि किसी की जाहिरी बातों सै उस्की परीक्षा नहीं हो सक्ती परन्तु अन्त मैं आप नें उसी के कामों सै उस्को पहचान्नें की राय बतलाई बाबू बैजनाथ नें कहा. मैंनें केलीप्सके दृष्टांत मैं पिछले कामों सै पहली बातों का भेद खोल कर उस्का निज स्वभाव बता दिया था इसी तरह समय पाकर हर आदमी के कामों सै मन की बृत्तियों पर निगाह करकै उस्की भलाई बुराई पहचान्नें की राह बतलाई तो इस्सै पहली बातों सै क्या बिरोध हुआ ? लाला ब्रजकिशोर पूछनें लगे.