Vichitra Desh ki Prem Katha

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कहानी विचित्र देश की प्रेम कथा धीरेन्द्र अस्थाना इस कहानी के नायक कालीचरण माथुर, जो खुद को के.सी. माथुर कहना पसंद करता है, में ऐसा एक भी गुण नहीं कि उसे नायक का दर्जा दिया जाये। लेकिन इसमें मैं क्या कर सकता हूं कि जो कहानी मैं लिखने जा रहा हूं वह कालीचरण माथुर की ही है। अगर पाठकगण अनिवार्य सहानुभूति के साथ विचार करें तो तथ्य यह प्रकाशित होगा कि गुणहीनता की जिम्मेदारी बिचारे के.सी. पर नहीं जाती। इस गुणहीनता का दारोमदार है उस विचित्र किस्म के देश पर जिसमें के.सी. ने अपनी चाहतों और तमन्नाओं को मूर्त रूप