लाला मदनमोहन भोजन करके आए उस्समय सब मुसाहब कमरे में मौजूद थे. मदनमोहन कुर्सी पर बैठ कर पान खानें लगे और इन् लोगों नें अपनी, अपनी बात छेड़ी. हरगोविंद (पन्सारी के लड़के) नें अपनी बगल सै लखनऊ की बनी टोपियें निकाल कर कहा हजूर ये टोपियें अभी लखनऊसै एक बजाज के यहां आई हैं सोगात मैं भेजनें के लिये अच्छी हैं. पसंद हों तो दो, चार ले आऊं ? कीमत क्या है ? वह तो पच्चीस, पच्चीस रुपे कहता है परन्तु मैं वाजबी ठैरा लूंगा