पलामू ( पहले बिहार और अब झारखंड का पिछड़ा जिला ) में बीते लेखकीय जीवन के शुरुआती दिनों की स्मृति व उन लोगों की यादें, जो मन-मिजाज पर हमेशा छायी-सी रहती हैं और जिनकी छाया हर रचना पर किसी न किसी रूप में आहस्तिे उतर आया करती है।