पत्नी के उलाहनों से तंग आकर अंत में गुप्ताजी ने निश्चय कर ही लिया कि शनिवार की संध्या को उसके प्रिय हीरो परेशान खान की वह पिक्चर उसे दिखा दें जिसके लिए पत्नी ने उनका जीना मुश्किल कर रखा था .गुप्ताजी ने उसे समझाया तो बहुत कि दूकान जल्दी बंद करके उनके चले आने या दो सुस्त और लापरवाह सहायकों के भरोसे दूकान छोड़ आने की अपेक्षा पचास रूपये में उसी सप्ताह रिलीज़ हुई पिक्चर की पाइरेटेड सी डी से घर बैठे वीडियो देखना कहीं अधिक बुद्धिमानी का काम होगा.