यह कहानी निम्न वर्ग के प्रति झूठी सहानुभूति रखने वाली मध्यमवर्गीय मानसिकता को उजागर करती है। ऊपरी दिखावा करते हुए ऐन वक्त पर हम अपना वर्गीय चरित्र दिखा देते हैं।