नन्ही नीना से अगर कोई पूछता कि उसे दुनिया में सबसे अच्छा क्या लगता है, तो वह बखटके कहती—नानी...नानी का गाँव। सच! पूरे साल भर वह नानी के पास... नानी के गाँव जाने के लिए ऐसे तरसती, जैसे यही उसका स्वर्ग हो, यही उसका सपना। हर साल गरमी की छुट्टियों में पूरा एक या डेढ़-महीना वह नानी के पास रहती थी। और ये दिन ऐसे होते थे, जब उसकी कल्पना को पंख लग जाते थे। मन परियों की तरह आसमान में उड़ता-सा रहता !