दादी की मुसकान

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कोयना के घर में उसके मम्मी-पापा और भाई के अलावा दादा-दादी भी रहते हैं। कोयना और आशु का बचपन दादी की गोद में ही बीता है। यहाँ तक कि पिछले साल तक को दादी ही दोनों बच्चों को स्कूल बस में बिठाने और फिर दोपहर में वापस लेने जाती थीं। अभी पिछले साल से उनके घुटनों में दर्द रहने लगा है और सर्दियों में तो यह और भी बढ़ गया है। दवाई चल रही है। कोयना की मम्मी उनकी खूब सेवा करती हैं। नियम से दवाई देती हैं और मालिश भी कर देती हैं।