अमरकण्टक वन में कपिला नाम की एक लोमड़ी रहती थी। वह बड़ी ही चालाक आैर घमण्डी थी। खरगोश, चूहे, मुर्गी, मेमनों आदि को वह मार कर खा जाया कती थी। वह बड़ी फुर्तीली थी, इसलिए तुरन्त शिकार कर लेती थी। एक दिन कपिला ने कई मुर्गियां मारीं। कुछ मुर्गियां उसने खा लीं। जब उसका पेट भर गया तो बची हुई मुर्गियां लेकर वह बरगद के पेड़ के पास पहुंची। वहाँ उसने जमीन में गड्ढा खोदा आैर सब बची मुर्गियां उसमें दबा दीं। चंचल गिलहरी पेड़ पर से कपिला की ये सारी हरकतें देख रही थी।