ढिबरी चैनल मीडिया खासतौर पर टेलीविजन चैनलों की सच्चाइयों को उजागर करने वाली व्यंग्य रचनाओं का संग्रह है। आज के समय में मीडिया और टेलीविजन चैनलों की महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन आज ज्यादातर अखबार और चैनल आमदनी, प्रसार संख्या और टीआरपी बढ़ाने की अंधी दौड़ में शामिल होकर अपनी भूमिका से भटक गये हैं और ढिबरी चैनल में शामिल रचनायें उसी भटकाव को उजागर करती है। ढिबरी चैनल लिखने की मंशा चैनलों में शीर्ष पदों पर लोगों की आलोचना करने की नहीं है बल्कि, कोशिश यह है कि विभिन्न कारणों से टेलीविजन चैनलों और काफी हद तक अखबारों में स्थितियां बन गयी है या बना दी गयी है और आज के दौर में अखबार और खास तौर पर टेलीविजन चैनल जो भूमिका निभा रहे हैं उसे लेकर समाज में चिंतन हो और मौजूदा सूरते हाल में बदलाव हो। हालांकि कई चैनल अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं लेकिन अनेक टेलीविजन चैनल, जो देश और समाज के विकास एवं लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने का अत्यंत कारगर माध्यम हो सकते थे, उन्हें काफी हद तक समाज के पतन का माध्यम बना दिया गया है। नोट — इस ईबुक में फोंट परिवर्तन के कारण कई स्थान पर चैनल के स्थान पर चौनल हो गए हैं। कृपया सुधार कर पढ़ें।