जग्गू जैसा कोई नहीं

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पुराने समय की बात है, हरसू गाँव में पंडित शिवशंकर रहते थे। वे बूढ़े हो चुके थे। घर-परिवार में कोई और नहीं था। गाँव के अपने बड़े-से घर में अकेले ही रहते थे। दिन भर वे यहाँ-वहाँ घूमा करते थे। घर लौटने पर उन्हें बिखरा और अस्त-व्यस्त घर मिलता तो वे कुछ परेशान-से हो जाते। सोचते, “अब इस उम्र मैं क्या-क्या करूँ?” शिवशंकर ने सोचा, “घर के कामकाज में मुझे बड़ी परेशानी होती है। अगर किसी को मदद करने के लिए रख लूँ, तो बड़ा आराम हो जाएगा।”