अन्तर्ज्वार (काव्य संग्रह) लेेखिका डॉ0 कविता रायज़ादा भूमिका कविता तलाशती है संभावनाओं के क्षितिज, कविता रचती है इन्द्रधनुषों का मायाजाल, कविता निखारती है सौन्दर्य के असीम आयाम, कविता कुरेदती है बरसों पुराने घाव, कविता जगाती है सोये हुये दर्द और जब कविता पहले पहल उठाती है कलम गढ़ने को अनगढ़ भाव तब जन्म लेता है ‘अन्तर्ज्वार‘ । कविता जब वत्सल वत्स दम्पत्ति की ममता की छॉव में काव्य साहित्य के ऑगन में जन्मी पली बढ़ी होगी तो उसके रोम—रोम में ब्र्रज माधुरी घुली होगी ताजमहल की धवला समायी होगी, शेख सलीम चिश्ती का तसव्बुर समाया होगा, अकबरे आज़म की सुलहकुल