यह लघु व्यंग्य कहानी है जो ट्रेन एवं बसों में पत्र-पत्रिकाएँ मांग कर पढ़नेवाले मुफतिया पाठकों की अपनाइत भरी थूक-कलाकारी करने की लत पर बुनी गयी है। आम घटना पर यह ख़ास कहानी एक बार जो आपने पढ़नी शुरू की, शर्तिया एक साँस में ही पढ़ कर छोड़ेंगे। पढ़ कर देखिये, हाथ कंगन को आरसी क्या!!!