हमेशा महफिलों और प्रशंसकों की भीड़ में रहनेवाला चोखेलाल नचनियाँ अब बिल्कुल अकेला रह गया था। घरवाली तक छोड़ कर चली गई थी। उसके चले जाने के बाद उसने बहुत प्रयत्न किए, किसी ने उससे शादी करना स्वीकार नहीं किया। उसके कमरे में अगर अब भी साथ देने के लिए कोई मौजूद था तो वे थे उसके हारमोनियम, सारंगी, तबला, बाँसुरी, मजीरा और घुँघरू। कई बार उसे लगता था कि ये महज साज नहीं बल्कि उसके परिवार के सदस्य हैं।