मेडिकल साइंस के क्षेत्र में तेजी से हो रहे अनंसंधान तथा इलाज के नये-नये तरीके निकल जाने के कारण सेकंड ओपिनयन की महत्ता काफी बढ़ गई है. उदाहरणस्वरूप हार्ट डिजीज की एन्जीओग्राम टेस्ट रिपोर्ट का विश्लेषण की बात की जाए तो कई विशेषज्ञ एन्जीओप्लास्टी की सलाह देंगे तो कई ओपन हार्ट-सर्जरी की. एन्जीओप्लास्टी कराने और स्टेंट लगाने को लेकर भी कार्डियक सर्जनों के बीच मत भिन्नता की बात सुनने को मिलती है. रोबोटिक,इंडोस्कोपिक, ओपन सर्जरी के साथ भी इसी तरह की समस्या देखने को मिलती है.कई बार इस बात को लेकर भी बहस छिड़ जाती है कि मरीज को सर्जरी की जरूरत है भी या नहीं. ऐसी स्थिति में मरीजों तथा अभिभावकों को समझ में ही नहीं आता कि क्या किया जाए. ब्रेन,स्पाईन आदि की एमआरआई रिपोर्ट केा लेकर सेकंड ओपिनियन की महत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाती है.इसीलिए आज के समय में सेकंड ओपिनयन आज की जरूरत है. इस लेख में इसकी विस्तार से व्याख्या की गई हैं