Seraj Band Baja

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माघी खलको का वह पहला दिन था जब बारात में अपने सिर पर ट्यूब लाइट का गमला ढोनेवाली रेजा का काम शुरू कर रही थी। प्रथम ग्रासे मक्षिका पातः वाली कहावत चरितार्थ हो गई थी। बारात चली ही थी कि मूसलाधार वर्षा शुरू हो गई। सभी बुरी तरह भीग गए, लेकिन माघी को भीगना कुछ ज्यादा ही असर कर गया। उसके साथ ग्यारह रेजाएँ और थीं, लेकिन वे काफी दिनों से यह काम कर रही थीं। उनका अभ्यास था, इसलिए वे गमले को एक हाथ से पकड़ कर भी चल ले रही थीं, दूसरे हाथ से बदन के पानी पोंछ ले रही थीं। कभी-कभी तो वे दोनों हाथ छोड़ कर भी चल ले रही थीं।