बरामदे में घर की सारी चीज़े बिखरी पड़ी थी ……..जले नए बर्तन, झुलसे महंगे इलेक्ट्रानिक और फर वाले खिलौने, कीमती नई कुछ जली कुछ अधजली साड़ियाँ लहंगे और ढेर सारे कपडे ,गद्दे ,तमाम खुबसुरत विदेशी बैग और बिखरी थी उनके साथ हजारों सुलगती यादें …! कल दोपहर ही की तो बात है जब अचल भागता हुआ आया और कहा कि ,”दीदी आपके बेडरूम से धुवां निकल रहा है। शैली बिना किसी से कुछ कहे अपना पर्स ढूंढने लगी घर की चाबियां थी उनमे …..माँ ने पूछा क्या हुआ बेटा, बच्चे माँ को परेशान देख जानने के लिए बेचैन हो उठे आखिर हुआ क्या ?