हँसाता भी हूँ एक ऐसी हास्य रचना है जिसको पढ़कर पाठक आनंद की गलियों में चुपके से घुसते हुए मज़े से उछलते हुए ही बाहर आएगा । अधिक वर्णन से मज़ा किरकिरा भी हो सकता है, कविताओं में सततता ,लयात्मकता आनंद की गलियों के स्तम्भ हैं, ऊर्जा प्रवाह इनको जोरदार बनता है हंसने मुस्कुराने के लिए तैयार हो जाएँ ।