Isliye

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उनको इत्मिनान था की नेतराम अब आने ही वाला होगा. उनकी खासियत ही यह थी कि वह हर कठिन से कठिन हालत में भी इत्मिनान से रहनें का कोई न कोई तरीका, कोई न कोई वज़ह खोज लेते थे ओर बे फ़िक्र हो जाते थे, लौट आते थे अपने हल्के-फुल्के मूड में, एकदम ईजी हो जाते थे. यह ईजी हो जाना उनकी एक ज़रूरी खुराक थी जिसे वह अपनी निजी चहारदीवारी के भीतर ही ले सकते थे, वर्ना बाकी समय तो एक बेवज़ह सा वह कसाव अपने चेहरे पर चिपकाए रखना होता था जो उनके हिसाब से उनके व्यक्तित्व की ज़रूरत थी. उनका व्यक्तित्व सिर्फ उनका नहीं था न, इसलिए...