आज सर्जरी ने ‘कैफेटेरिया च्वाइश’ तक की मंजिल तय कर ली है। एक रोग की कई तरह की सर्जरी का विकल्प अब मरीज के पास उपलब्ध है। मरीज की मर्जी, चाहे जो विधि अपनाए। चिकित्सा-क्षेत्र की यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। अब तो सिंगल इंसीजन से स्कारलेस, रोबोटिक, डे-केयर सर्जरी भी किये जा रहे हैैं। पित्त की थैली की सर्जरी के लिए मुंह में इंडोस्कोप डाला और कर दी सर्जरी। किडनी की सर्जरी करनी हो,पेशाब की नली से ही हो गई सर्जरी। न रक्तस्राव,न संक्रमण,न चीरे का निशान। अब तो सुबह सर्जरी होती है और शाम को छुट्टी दे दी जाती है। यह सब और कुछ नहीं, मिनिमली इन्वेसिव और इंडोस्कोपिक सर्जरी का कमाल है। नब्बे के दशक से आज तक चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे विकास की विस्तृत जानकारी के लिए इस लेख से गुजरना जरूरी है