नाम के पीछे आई ए एस के गरिमामय दुमछल्ले को जोड़ने वाले मेरे छोटे भाई की कार मेरे घर के सामने उन्होंने कई बार खड़ी देखी तो अपने कौतूहल को वे रोक नहीं पाए. भाई को अपने रुतबे से जलने वालों की ऐसी हाय लगी थी कि कार की छत से नीली बत्ती को बेमन से हटाना पड़ गया था. पर उस टीस को कार के पीछे लाल अक्षरों में लिखे ‘भारत सरकार‘ ने किसी हद तक कम कर दिया था. उसी को देखकर इन सज्जन ने मुझसे “सांवरे से सखी, रावरे को हैं?’ वाले अंदाज़ में उस सरकारी कार के मालिक से मेरे सम्बन्ध के बारे में पूछ डाला.