आज जब पीछे लौटकर देखती हूँ कि वह क्या था जिसने मेरे जीवन को ढर्रे का नहीं बनने दिया, हर क्षण कुछ न कुछ नया पढ़ने-गढ़ने, गुनने-समझने की तड़प मेरे भीतर से नहीं गई, तो एकाएक कुछ चेहरे स्मृतियों में तैरते हुए मेरी आँखों के आगे आ जाते हैं। उनमें एक चेहरा इतना सुंदर और समझदारी से भरपूर है—खासकर उसकी ज्ञान से चमकती आँखों की सुंदरता ऐसी है कि मैं मानो सब कुछ छोड़, उसी के साथ हो लेना चाहती हूँ।