आज के तुलसीगण

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उत्तर भारत में पहली बार समाज के कुछ पिछड़े सामाजिक समूहों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी। तब साहित्‍य अकादमी से पुरस्‍कृत कवि अरुण कमल ने लिखा 'फेंका है उन्होंने रोटी का टुकड़ा और टूट पड़े गली के भूखे कुत्ते'। इस कविता में वे गली का कुत्‍ता ओबीसी और दलित समुदायों को कहतेहैं। हिंदी के समकालीन परिदृश्‍य में कई ऐसे कवि हैं। यह लेख हिंदी साहित्‍य में व्‍याप्‍त ब्राह्मणवादी मानसिकता को उजागर करता है।