आजादी के समय अशिक्षा चरम पर थी। उन्हीं दिनों अवध क्षेत्र के गांव नेतुआ में रहने वाली एक महिला के तार (टेलीग्राम) आया, बप्पा घर गए। गांव के एकमात्र शिक्षित लड़के ने हिज्जे जोड़-जोड़कर पढ़ा, बप्पा मर गए। बस, क्या था, यह सुनते ही बेटी फूट-फूटकर रोने लगी। वह छाती पीटती मायके पहुंची, उसे रोता देखकर उसकी मां भी रोने लगी। मां को रोता देखकर गांव की अन्य महिलाएं रोने लगीं। बस, इन्हीं स्थितियों को लेकर रचा गया है यह व्यंग्य-बप्पा मर गए! पढ़कर देखिए यह व्यंग्य, मजा खूब आएगा।