कहानी लोकेष तुम कहाँ हो ? रमेष ख़त्री 9414373188 मेरी मुलाक़ात बैंक के अहाते में हुई थी । मैं भी उन दिनों इस षहर में नया था, मेरी यहाँ पहली पोस्टिंग थी और इस षहर में किसी को जानता नहीं था । अनजानों के बीच अपने नीड़ के निर्माण में इस अनजान षहर में आना हुआ था । नौकरी की विवषता मुझे अपने घर से इस षहर तक खींच लाई थी । खैर, वह एक अलग दास्तान है, जब मैंने अपने विभाग में ज्वाईन कर लिया तो मुझको एक नया फरमान थमाया गया ‘कार्यालय के नज़दीक के किसी बैंक में