तेंतर

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तीन चार महीने हो गये दमोदरदत्त रात को पानी पीने उठे तो देखा की वो बालिका जाग रही है सामने ताख पर मीठे तेल का दीपक जल रहा था, वो लड़की टकटकी बांधे उसी दीपक की और देखती और अपने अंगूठे को चूसने में मग्न नथी पर ध्यान से देखने पर पता चलता था की उसका मुख मुरझाया हुआ था, पर व् न रोती थी और न ही हाथ पैर फेंकती थी, बीएस अंगूठा पीने में इतनी मग्न हो गई थी मानों उसमें सुधा रस भरा पड़ा हो वह माता के स्तनों की ओर मुख भी नहीं फेरती थी मानो उसका उन पर कोई अधिकार नहीं था बाबु साहब को उसे देख कर दया आयी और वे...