स्वर्ग की देवी

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लीला का स्वास्थ्य पहले भी कुछ अच्छा न था, अब तो वह और भी बेजान हो गयी उठने बैठने की शक्ति भी अब उसमे नहीं रही थी वो हरदम खोयी खोयी सी रहती थी, इतना की उसको अब कपड़े लत्ते की भी सुध नहीं थी, और न ही खाने पिने की लीला को अब न घर से वास्ता था और न हिन् बाहर से वो जहाँ बैठ जाती वहीँ बैठ जाती, घंटो महीनों तक न कपड़े बदलती और न ही सर में तेल डालती, बच्चे ही उसके प्राणों के आधार थे रात दिन बस यही प्रार्थना करती की बीएस भगवान यहाँ से मुझे अब ले चलो लीला की यह हालत देख सीतासरन पहले तो बहुत रोया धोया पर बाद में...