में और मेरे अहसास - 117

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शीत लहर मिलन के वादे से दिल में मीठी शीत लहर छा गई l ख़त में लिखीं हुई सजने संवरने की बात भा गई ll   सारी क़ायनात को ख़त का पता चल गया है कि l आज खुली खिड़की पर बैठ कोयल गीत गा गई ll    अंग अंग तन मन में खुशी से तबस्सुम फैल गया l गुलाबो सी गुलाबी लाल सुर्खी गालों पर ला गई ll   अब क्या बताऊँ कितने ऊँचे आसमान में उड़ रहा l हृदय को चैन औ सुकूं की नशीली ठंडक पा गई ll   मधुर रसीली सी मुलाकात की तैयारियों में ही