76उत्सव का चित्त प्रसन्नता से भर गया। मृत्यु से पूर्व जो जीवन होता है उसे वह अनुभव करने जा रहा था अतः मन में अनेक तरंगें उठ रही थी। वाराणसी की वीथियों में संध्या ढल चुकी थी। भगवान सदाशिव के दर्शन हेतु भक्तों की भीड़ थी। नगर में उत्साह दिख रहा था। उत्सव को प्रथम बार वाराणसी के जीवन में ऊर्जा का दर्शन हुआ। ‘यहां मृत्यु से पूर्व का जीवन भी है, मोक्ष भले ही हो। वाराणसी के जीवन को आज में नूतन दृष्टि से देख रहा हूँ। अनुभव कर रहा हूँ। मृत्यु तथा मोक्ष के लक्ष्य के कारण मैंने कभी