"मेरी गायसुरेश दहाड़ मारकर रो रहा था।सुरेश का जन्मगांव बसवा के एक कृषक परिवार में हुआ था।उसके दादा परदादा का पैतृक धंधा खेती ही था।समय के साथ साथ परिवार या दूसरे शब्दों मे खानदान में बढ़ोतरी होती गयी और जैसा सामाजिक नियम है।परिवार बट ते गये और परिवार बटने के साथ जमीन का भी बटवारा होता चला गया। ऐसा ही बालावत खानदान में भी हुआ।सुरेश के दादा रामनाथ खेती करते थे।हमारा देश कृषि प्रधान था और आज भी है।हालांकि बदलती हुई दुनिया के साथ भारत मे भी केवल कृषि ही नही होती।भारत भी हर क्षेत्र मे प्रगति, उन्नति कर रहा