प्रेम की परछाई

  चाँदनी रात थी, आसमान पर टिमटिमाते सितारे मानो धरती को अपने आलिंगन में भरने को आतुर थे। रश्मि एक छोटे गाँव में अपनी दादी के घर कुछ दिन की छुट्टी बिताने आई थी। गाँव के शांत माहौल और प्राकृतिक खूबसूरती ने उसका मन मोह लिया था। मगर उसके दिमाग में वही पुराना सपना बार-बार कौंधता था—वह बाग़, जहाँ पेड़ सुनहरे पत्तों से लदे थे और फूलों की खुशबू किसी रहस्यमयी नशे की तरह लगती थी।   एक रात, चाँदनी की रोशनी में वह बाग़ अनायास ही प्रकट हुआ। रश्मि के कदम अनजाने ही उस दिशा में बढ़ गए। पेड़-पौधों