मुक्त - भाग 3

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--------मुक्त -----(3)        खुशक हवा का चलना शुरू था... आज किसी के बहुत करीब सुन ने का सकून मस्जिद से युसफ खान का था। जो लियाकत से खुदा की बदगी मे लीन था। समय सुबह का चौथा पहर खत्म था.... घूममावदार सीढ़ी चढ़ने से एक अलग सा सकून था।ये सकून एक अलग सा पहली वार युसफ ने लिया था।घुटनो के बल बैठे  रहना, कितना रिजके सिदक दे रहा था। कितना ख़ुश था। खुदा  का दर्ज कलमे को लोगों मे जिक्रे - बया करना। दिल धड़क रहा था। मुँह पे अलैदा जोश और नूर था। इतना समय दिया उसने की