साक्षी दी जूलियट

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वाजिद हुसैन सिद्दीकी की कहानी  1990 के आरंभिक दिनों तक कश्मीर में पाकिस्तान परस्त मुसलमानों द्वारा हिंदू विरोधी नरसंहार और हमलों की श्रृंखला चरम पर हो गई थी। जिसमें अनंत कश्मीरी हिंदू घाटी छोड़कर भागने को मजबूर हुए थे। पलायन करने वालों  में साक्षी और उसकी मां भी थी। वे दिल्ली में एक छोटे से घर में रहने लगी थी। साक्षी ने एक स्कूल में अध्यापिका की नौकरी कर ली थी। एक सुबह साक्षी अलसाई सी घर की खिड़की के पास आकर खड़ी हो गई।'कितना दिन चढ़ गया, अरी कपड़े तो बदल ले, 'मां ने कहा, 'बता साड़ी निकाल दूं या सूट।'जो