-नीलम कुलश्रेष्ठ तब वे एक पुस्तक विमोचन के अवसर पर मंच पर मुख्य अतिथि की तरह उपस्थित थीं। वे कह रही थीं, “आप करोड़ रुपये भी किसी के सामने रखकर कहिए कि मुझे कवि बना दीजिए तब भी वह आपको कवि नहीं बना सकता। कविता करना, लेखन करना भगवान का दिया आशीर्वाद है। मुझे साहित्य में रुचि है, लेकिन मैं कविता नहीं लिख सकती, मैं तो इस क्षेत्र में चिड़िया हूँ।“ श्रोताओं में बैठी मैं कह उठती हूँ, “तीसरे सत्र में भी बड़ौदा ने आपको ही सांसद चुना है, तो आप चिड़िया कहाँ है, आप तो शेरनी हैं।“ उनकी हाज़िर