नशे की रात - भाग - 4

अनामिका अपने कमरे में जाकर निढाल होकर लेट गई। इस समय उसका मन अशांत था। उसे लग रहा था मानो राजीव उसके आगे बढ़ने के रास्ते में रोड़े की तरह आकर खड़ा हो गया है लेकिन इस बात से बेफिक्र उसके पापा मम्मी तो विवाह की योजनाएँ बनाने में व्यस्त थे। इसी तरह दो दिन निकल गए और तीसरे दिन सुबह-सुबह ही सरगम का फ़ोन आया। "हैलो वैभवी।" "हैलो सरगम जी।" "अरे वैभवी सबसे पहले तो तुम मुझे सरगम जी कहना छोड़ो। अब हमारा बराबरी का रिश्ता है, केवल सरगम ही कहा करो।" "ठीक है सरगम जी," कहते हुए वैभवी