उजाले की ओर –संस्मरण

=================== सभी पाठक मित्रों को सस्नेह नमस्कार कभी कभी हम व्यर्थ की बहस में पड़कर अपनी मानसिक व शारीरिक ऊर्जा का ह्रास करने लगते हैं | कभी-कभी नहीं, अक्सर हम ऐसा ही कर बैठते हैं, हम यही करते रहते हैं और जब क्षीण होने लगते हैं तब महसूस होता है कि हमने अपने बहुमूल्य जीवन का कितना समय इस सबमें नष्ट कर डाला है ! अच्छी -खासी पोस्ट से निवृत्त श्रीकांत एक बेहतर वक्ता, लेखक व सकारात्मक दृष्टिकोण वाले व्यक्तित्व हैं, जब तक वे अपनी कंपनी में कार्यरत रहे, सदा सबको सकारात्मक ऊर्जा देते रहे | उनके स्टाफ़ के कर्मचारी