मंजिले ( कहानी पुस्तक ) चुप एक मार्मिक कथा है, मैंने हजूम मे आने के लिए बीड़ा जो उठा लिया है, जानते हो, मन किसी का दुखी न होवें। ऑन लाइन सब से कठिन पूर्ण नहीं है, मिलो, बाते करो, भारत के वो ग़रीबी परिवार से, जो आज भूखे सोये होंगे, कल काम मिलेगा या नहीं.... ये तुम सोचते हो, सोचो। कोई ऐसा नहीं सोचता, तुम शोसिल वर्कर हो, तो आपनी पत्नी तो वैसे ही नहीं बोलती। " कहेगी वाह नया काम कसम से बाप दादा के वक़्त का चल रहा है, करो, खूब करो, आपना छोड़ दो "