नमस्कार ! मैं एक टॉयलेट बोल रहा हूँ। जी हाँ, वही टॉयलेट जिसे संडास, पाखाना और शिष्ट भाषा में शौचालय के नाम से जाना जाता है, मैं वही चार दीवारों वाला शौचालय बोल रहा हूँ। वैसे मेरी जीवनकथा इतनी रोचक तो नहीं है लेकिन फिर भी मेरी महत्ता को आप लोग अनदेखा नहीं कर सकते। मेरे नाम पर तो "टॉयलेट- एक प्रेमकथा" नामक फिल्म भी बन चुकी है। वैसे तो आप लोग जो साबुन, परफ्यूम और सौंदर्य बढ़ाने वाली वस्तुओं का उपयोग करते हो, उन्हें भी टॉयलेट प्रिपरेशन ही कहा जाता है। हड़प्पा के प्राचीन समय से लेकर अर्वाचीन समय