Nafrat e Ishq - Part 10

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सहदेव के कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ था। खिड़की के बाहर बहती हवा की सरसराहट और दीवार घड़ी की टिक-टिक माहौल को और रहस्यमयी बना रही थी। तभी अचानक एक तेज़ आवाज़ गूंजी—"Boo!"सहदेव हड़बड़ाकर पलटा। उसकी आंखें चौड़ी हो गईं और हाथ में पकड़ी फोल्डिंग लकड़ी और कसकर पकड़ ली। उसकी नज़र सामने खड़े तीन मास्क पहने लोगों पर पड़ी। उनके चेहरे किसी डरावनी फिल्म के पात्रों की तरह लग रहे थे। सहदेव के शरीर में सिहरन दौड़ गई। बिना सोचे-समझे, उसने फोल्डिंग लकड़ी से सबसे आगे खड़े व्यक्ति के सिर पर ज़ोर से वार कर दिया।  "अरे, सहदेव! पागल है