मंजिले कहानी पुस्तक मे एक ऐसी भावक मर्मिक कहानी कहना चाहता हुँ, कि आप रोक नहीं सकते मुझे। लिखू गा भाई लिखने दे.... " वो फिर न आया " मागने वाले भिखारी कितना कुछ साथ ले जाते है। कभी सोचा, हमदर्दी, मार्मिक, ढेर सारा बुनायदि सम्मान और प्यार भावक्ता ले जाते है। एक ऐसा ही पात्र था जो मेरे शहर मे रेड़ी पे आता था... रोज मांगता था, साथ मे होंगी उसकी पत्नी जो रेहड़ी खींचती थीं। याद है मुझे साल 1981-82 की ताज़ा घटना थीं।