( 21) एपिसोड जंगल का --------------------------------------- Dsp तरुण के आगे उसने सब कुछ फरोल दिया, जो हलातो के दर्द उसे दुखी कर रहे थे। फिर सारी कहानी दोस्ताने पन से सुना दी, सब कुछ कहने के बाद वो चुप था।----"दर्द आपने ज़ब दे, इतना तरुण जी "---" तो आँखो मे आंसू के इलावा और कुछ नहीं होता। " तरुण चुप था। उसने बहुत बारीकी से समझा था। यहाँ से भारत को अपमान मिलना था, वही से वो करवाई को इल्जाम देना चाहता