आखेट महल - 17

सत्रह दिन गुजरते गये। आखेट महल प्रोजेक्ट का काम दिन दूनी, रात चौगुनी रफ्तार से परवान चढ़ता रहा। वहाँ देखते-देखते बंजर और वीरान जमीन हरियाली और खूबसूरती में बदलने लगी थी। शंभूसिंह ने काफी दिनों की छुट्टी के बाद वाटरवर्क्स के अपने ऑफिस में आना शुरू कर दिया था। इतने दिनों के बाद अपने दफ्तर में लौटने के बाद शंभूसिंह को जब पता चला कि हर चीज जहाँ की तहाँ है और गौरांबर के बारे में कोई अफरा-तफरी नहीं है तो उन्हें भला-सा ही लगा था। गौरांबर अब भी उन्हीं के गाँव में था। वे स्वयं पन्द्रह-बीस किलोमीटर साइकिल चलाकर