(1)हम लोग एक व्हाट्सएप समूह के मार्फत आभासी मित्र थे। वह लगभग अस्सी-नब्बे लोगों का समूह। रोज सभी लोग एक दूसरे को सुप्रभात वाले पोस्टर डालते। दिन में कुछ लोग तो अपनी मौलिक रचनाएँ पर अधिकतर सोशल मीडिया से कट-पेस्ट करके डालते रहते। रचना अच्छी-बुरी, मौलिक, कट-पेस्ट कैसी भी हो सभी एक-दूसरे की जमकर तारीफ करते और शाम को सभी लोग देर रात तक एक-दूसरे को गुडनाइट बोलते। जन्मदिन पर सभी एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते, हवाई गुलदस्ते भेंट करते हुए बधाई देते, आभासी केक खिलाते। पर यहाँ सदस्यों के जन्म दिनांक ही उजागर रहते, जन्म-वर्ष नहीं। जाहिर है अधिकतर महिलाएँ और उम्रदराज