वो यादगार लम्हे, वो सच्ची दोस्ती

यह कहानी है बचपन की एक ऐसी दोस्ती की, जो मासूमियत और सच्चे विश्वास के धागों से बंधी हुई थी। एक ऐसी दोस्ती, जो आज भी यादों के रूप में दिल में धड़कती है, भले ही वक्त ने उनके रास्ते जुदा कर दिए हों।रूही की पहली कक्षा का पहला दिन था। नई किताबें, नई ड्रेस, नए शिक्षक, और नए दोस्त। क्लास में एक लड़की पर उसकी नज़र पड़ी, उसका नाम था हीर। दोनों के बीच शुरुआत में कोई खास बातचीत नहीं हुई थी। वे सिर्फ सहपाठी थीं – एक-दूसरे के लिए सामान्य रूप से मौजूद। लेकिन वक्त के साथ-साथ, जैसे