खुदा मिला न बिसाल-ए-सनम कहानी / शरोवन ***'चुल्लू भर पानी है, तेरी विदेशी जमीन पर? शर्म नहीं आती तुझे, इस तरह से अपने बाप के लिए कहते हुए? अरे, वह मेहनत नहीं करते, खुद भूखे रहकर तुझे भरपेट नहीं खिलाते, तुझे नहीं पढ़ाते, तो क्या तू इंजीनियर बनकर विलायत चला जाता? चार पैसे हमें क्या भेज दिए तो अपने बाप की भी कीमत तुझे मालुम हो गई? *** अचानक से बड़े ही ज़ोरों की आवाज़ के साथ फोन की घंटी बजी नहीं, बल्कि जैसे चीखने लगी तो आशा किचिन में अपने हाथ का काम छोड़कर फोन की तरफ