अपराध ही अपराध - भाग 30

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अध्याय 30   किसी तरह ढूंढ कर उन्हें यह शुरुआत मिल ही  गया। “बहुत-बहुत धन्यवाद सर। हमारे लिए बहुत परेशान होकर आपने इस समाचार पत्र को ढूंढ कर हमें दिया। कहीं नहीं मिले तो ऐसा सोच कर डरते हुए ही हम आए थे।” धनंजयन ने उप संपादक को धन्यवाद दिया। “बिल्कुल ठीक है साहब। आजकल तो सब कुछ :डिजिटल कापी’ ही होती है। ‘इस तरह के पेपर प्रिंटों’ को दीमक से बचाकर रखने के लिए बहुत ज्यादा परेशानी होती है। इस विषय में सचमुच में आप बहुत भाग्यशाली हैं।” “हमारा भाग्य इस पेपर के मिलने से नहीं सर। इस समाचार