शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 20

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"(पार्ट -२०)इंसान के स्वभाव को पहचानना मुश्किल है, कुछ लोगों का व्यक्तित्व दोहरा होता है, गुस्सा क्षणिक हो सकता है, लेकिन जब भावनाएं भड़कती हैं, तो इंसान कुछ भी करता है।अब आगे...चलो देखते हैं युक्ति की डायरीडॉक्टर शुभम ने युक्ति की डायरी निकालीजहां से पढ़ना बंद किया था वहां से पढ़ना शुरू किया।रवि...मेरा भाई।हम दोनों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह और भावनाएँ थीं।भाई को एक लड़की पसंद थी लेकिन पिताजी इसके लिए तैयार नहीं थे। वह लड़की दूसरी ज्ञाति की थी। इसलिए पिताजी को पसंद नहीं थी।शायद पिताजी के मन में कुछ ओर ही होगा।पिताजी